विराट कोहली के पास अपने पुराने तेवर दिखाने का आखिरी मौका

सिडनी
बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी का शुक्रवार से सिडनी में शुरू होने वाला पांचवां और आखिरी टेस्ट स्टार बल्लेबाज विराट कोहली के लिए अपने पुराने तेवर दिखाने का आखिरी मौका होगा। अब तक सुपर फ्लॉप रहे कोहली को सिडनी में बड़ा स्कोर बनाकर दिखाना होगा कि उनमें अभी दमखम बाकी है। पहले ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफ़ी में दो विराट कोहली हिस्सा ले रहे हैं और इसमें ग़लती ख़ुद उनकी ही है। छह वर्ष पहले जब वह यहां आए थे तब उन्होंने एक ऐसा शतक लगाया था जिसे घर के बाहर किसी बल्लेबाज़ द्वारा लगाए गए सबसे बेहतरीन शतक की संज्ञा दी जा सकती है। 2018 में पर्थ में खेली गई उनकी पारी यह विश्वास दिलाने के लिए पर्याप्त थी कि जब तक वह क्रीज़ पर हैं, तब कुछ भी संभव है।

यहां तक कि 2024 की शुरुआत भी उनके लिए काफ़ी बेहतर हुई थी। कोहली ने ऐसी पिच पर 46 रन बनाए थे जहां दक्षिण अफ़्रीका की पूरी टीम 55 पर सिमट गई थी। कोहली के सामने जितनी ही बड़ी चुनौती आई वह उतनी ही रफ़्तार के साथ उससे पार पाने में सफल रहे। हर टीम को ऐसे खिलाड़ी की ज़रूरत होती है। मौजूदा दौरे पर कोहली सभी छह बार ऑफ़ स्टंप के बाहर की गेंद को छेड़ने के दौरान आउट हुए हैं।

पूर्व भारतीय क्रिकेटर संजय मांजरेकर ने ईएसपीएन क्रिकइंफो से कहा, "अब समय आ गया है जब उन्हें ना सिर्फ़ रन बनाने होंगे बल्कि इस समस्या से निकलने के लिए उन्हें आउट होने का कोई दूसरा तरीका भी ढूंढना होगा। मैंने अब तक ऐसा खिलाड़ी नहीं देखा है जिसका टेस्ट क्रिकेट पर कोहली जितना इम्पैक्ट हो और उसके साथ यह कमज़ोरी हो। मुझे नहीं लगता कि किसी शीर्ष क्रम के बल्लेबाज़ के साथ ऐसी कोई कमज़ोर कड़ी रही हो। हां ऐसा हो चुका है कि कई बार खिलाड़ी एक ही तरह से आउट हुए हैं लेकिन कोहली के संदर्भ में यह काफ़ी समय से घटित हो रहा है।"

मांजरेकर ने मैच डे हिंदी में कहा, "कोहली के पास एक विकल्प यह है कि वह बाहर की गेंदों को छोड़ें और जैसा कि उन्होंने (मेलबर्न टेस्ट) पहली पारी में किया भी। स्टीव स्मिथ अलग अलग तरह से अपनी समस्याएं कम करते हैं लेकिन कोहली के साथ यह काफ़ी लंबे समय से घटित हो रहा है। उस खिलाड़ी जिसके हिस्से में कई बड़ी पारियां हैं उसका बार बार एक ही तरह की ग़लती दोहरना काफ़ी दिलचस्प है।"

मेलबर्न में कोहली और सैम कॉन्स्टास के बीच हुई भिड़ंत भी चर्चा का केंद्र बनी रही, जहां 35 वर्षीय सुपरस्टार का एक 19 वर्षीय खिलाड़ी से उलझना काफ़ी लोगों को अखर गया। पूर्व ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर आरोन फ़िंच ने कहा, "कोहली उस तरह के खिलाड़ी हैं जो दबाव की स्थिति में और निखर जाते हैं। वह लड़ाई मोल लेने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि यह उनके भीतर से उनका सर्वश्रेष्ठ निकालता है। यही वह स्थिति होती है जब वह अपना पूरा कौशल झोंक देते हैं।"

कोहली ने कई टेस्ट सीरीज़ को अपनी बल्लेबाज़ी और व्यवहार से परिभाषित किया है लेकिन यह सीरीज़ उनके लिए ग़लत आंकलन से परिभाषित हो रही है। सिडनी में चीज़ें ठीक करने का उनके पास आखिरी मौक़ा है। वह मेलबर्न में लगभग ऐसा कर भी चुके थे और ख़ुद स्मिथ तक को यह लगा था कि कोहली के बल्ले से एक बड़ी पारी आने वाली है लेकिन जायसवाल के रन आउट घटनाक्रम के बाद वह ऑफ़ स्टंप के बाहर की गेंद को छेड़ने चले गए जिसे वह अब तक छोड़ते आ रहे थे।

शायद नया साल पुराने कोहली को वापस लाने में सफल साबित हो। फ़ील्ड पर तो वह अभी भी पुराने कोहली ही हैं। दर्शकों से उलझ रहे हैं, रोहित शर्मा को हर ज़रूरी सुझाव भी दे रहे हैं। ख़ुद रोहित के लिए यह साल और सीरीज़ अभी तक संतोषजनक नहीं रही है और उनके टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहने की भी काफ़ी चर्चा चल रही है। हालांकि मांजरेकर मानते हैं कि इस पर कोई भी निर्णय ख़ुद रोहित ही लेंगे। मांजरेकर ने कहा, "रोहित का फ़ॉर्म वास्तव में चिंताजनक है। ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट में अकसर ऐसा होता है कि क्रिकेट को सही दिशा दिखाने के लिए बड़े खिलाड़ी आड़े नहीं आते। भारतीय क्रिकेट उस स्तर पर नहीं पहुंचा है। यह ज़िम्मेदारी चयन समिति के अध्यक्ष अजीत आगरकर की भी है लेकिन मुझे लगता है कि रोहित ख़ुद सामने आकर ही अपने फ़ैसले के बारे में बता देंगे।"

 

India Edge News Desk

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